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Word Of The Week
Iridescent
Life is iridescent, reflecting a spectrum of ever-changing, vibrant experiences.


मानस निति कुंज- अयोध्याकाण्ड
रमानाथ जहँ राजा सो पुर बरनि कि जाइ। अनिमादिक सुख संपदा रहीं अवध सब छाइ॥ अयोध्या काण्ड श्रीरामचरितमानस का द्वितीय सोपान है। इसका नाम उसी...

Mrityunjay Kashyap
Jan 22, 202417 min read


भोपाल जंक्शन
सब ठीक हो जाएगा, भोपाल जंक्शन आने वाला है। The Railway Men नामक यह मीनी सिरीज़ 1984 के भोपाल गैस त्रासदी की पृष्ठभुमि पर बनी है। भोपाल...

Mrityunjay Kashyap
Dec 22, 20237 min read


एक छोटी कहानी
एक पुरातन सुंदर उद्यान था (अथवा है?) यह पुरातन अवश्य था, परंतु नवीनता का उत्कृष्ट दर्पण भी। श्रेष्ठतम रमणीयता इसके विशेषण है। कोई भी...

Mrityunjay Kashyap
Dec 16, 20232 min read


हमारा संविधान - कार्यपालिका
राज्य की क्या परिभाषा है? यह प्रश्न जितना सरल लगता है, काश उतना होता भी। माननीय उच्चतम न्यायालय के अनेक निर्णयों का मूल तत्व ही इसी...

Mrityunjay Kashyap
Nov 26, 20233 min read


मानस निति कुंज - बालकाण्ड
वर्णानामर्थ संघानां रसानां छन्दसामपि । मंगलानां च कर्त्तारी वन्दे वाणीविनायकौ ॥ राम भारत की आत्मा हैं। राम हमारी सांस्कृतिक थाती के...

Mrityunjay Kashyap
Oct 24, 202315 min read


अब घर याद आता है
एक साल ऐसा आया, कुछ कर दिखाने का जुनून चढ़ा। इसी बात के जोश-जोश में, घर से दूर निकल पड़ा। हठ थी या जुनून था, घर से दूर जाने का। हज़ार कदम...
Pranjal Mishra
Oct 22, 20231 min read


प्रतिबिम्ब
हम जिस संसार को सत्य मानते हैं, क्या वो सत्य है अथवा बस एक धोखा? इस पृथ्वी पर रह रहे सभी जीवों का जन्म यहाँ किसी न किसी वज़ह से हुआ है।...

Swarnim Kumari
Oct 7, 20234 min read


प्रायश्चित
बिहड़ बन में करते प्रवेश, पालें मन में भय क्लेश, ज्यों मनुष्य को भवसागर, शंका से ना राह उजागर, हरि नाम का एक अवलंब, काट करें कठिन कलुष...

Mrityunjay Kashyap
Sep 7, 20236 min read


चाय
हो हर सुबह की शुरुआत तुम, हो शाम की चर्चाओं का साथ तुम, चाय की बात ऐसी निराली है थके शरीर में ऊर्जा भरने वाली है! चाय के भी हैं अनेकों...
Shruti Priya
Sep 2, 20231 min read


‘मैं’ और ‘मेरा’
'मैं' और 'मेरा' की क्या परिभाषा, मन मान मरु मही को विपासा, चाहे चंचल चरित्र का चारू मुकुर, या स्वार्थ क्षुधा, लगता स्वाद मधुर। प्रधानता...

Mrityunjay Kashyap
Aug 14, 20234 min read


कुटुम्ब (१)
1 वेद की गाड़ी लेट है। अब कोई ट्रेन समय पर आ जाए तो आश्चर्य होता है। सिस्टम के दोष तो है हीं, प्रकृति भी प्रतिकूल है। इधर कोहरा नहीं लग...

Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20238 min read


घाट
(१) सूरज ने अब अपनी किरणों को समेटना आरंभ किया। अंबर लालिमा युक्त है। गंगा के साफ जल में जो प्रतिबिंब बन रहा है, वह प्रकृति की चित्रकला...

Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20238 min read


संतोष
कामधेनुगुणा विद्या ह्ययकाले फलदायिनी। प्रवासे मातृसदृशा विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥ ~ चाणक्य नीति विद्या कामधेनु के गुणों वाली है। यह उपमा...

Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20234 min read


मन में - 3. प्रवेश
दरबार में अद्भुत है शोभा आज, सजा है चारों ओर साजों-साज, हो रहा था बड़ा सम्मेलन, थे उपस्थित विशिष्ट ज्ञानी जन। आए थे पार कर प्रांत, थी...

Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20232 min read


प्रेम, भक्ति और समर्पण
प्रेम, भक्ति और समर्पण- क्या आप इन तीनों को एकार्थी महसूस करते हैं अथवा क्या यें एक दूसरे के पूरक है? क्या एक का अस्तित्व बाकी दो के...

Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20238 min read


মিথিলা (मिथिला)
1 माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है वाल्मीकि रामायण के श्लोक मुझे मेरी मातृभूमि के विषय में लिखने को प्रेरित कर रहा है ऐसा...

Mrityunjay Kashyap
Aug 6, 20233 min read


व्यंजन
क्या हुआ जो मेरी इच्छाओं का सम्मान नहीं, प्रशंसा भले नहीं, कम से कम निंदा गान सही! क्या मेरा अस्तित्व है ? - स्वयं से यह सवाल, नहीं, क्या...

Mrityunjay Kashyap
Aug 6, 20232 min read


आश्वासन
(1) जमना बड़ी देर बाद टहनियों का गट्ठा लेकर आई। बहुत थकी हुई मालूम होती है, हो भी क्यों ना! कड़ी धूप में पूरे जंगल घूम-घूम कर लकड़ियां...

Mrityunjay Kashyap
Jul 27, 20235 min read


रघुनाथ का प्राकट्य
नवमी तिथि, शुक्ल पक्ष चैत्र मास, पावन काल जब चहुं ओर उल्लास, नर, नाग, धेनु, संत, सुर सम्पत हेतु, अवतरें मानवी वेष, बन रघुकुलकेतु! जिन...

Mrityunjay Kashyap
Mar 30, 20231 min read
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