सारा जग बहरा है
- Mayank Kumar

- Jul 31, 2023
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जल रहा हृदय और
मस्तिष्क भी बेहाल है
गर्दन फंदों में कसी
अधूरे सब सवाल है
साँस आने से कतराती
मुंह पे तालों का सहरा
बातें मन में घुटती रहती
किसने डाला मन पे पहरा
मुस्कान चिपकी चहरों पर
विस्मय भीतर पलता है
जीवन सूर्य संताप जल में
हो गुरूब अब ढलता है
अरे जाने दो! छोड़ दो!
है मन चिल्लाता..
पर अवसाद बड़ा गहरा है
बातें मन की कोई न सुनता
सारा जग बहरा है
सारा जग बहरा है
-मयंक







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