बदल जाएगा
- Mrityunjay Kashyap

- Aug 30
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दर्द सीने से कुछ यूँ निकल जाएगा,
बहते अश्कों से अंगार जल जाएगा।
बा-ख़बर हो के भी तू रहा बेअसर,
बेकसी देख पत्थर पिघल जाएगा।
आज कर लूँ यकीं तू मेरे साथ है,
जानता हूँ कि कल तू बदल जाएगा।
बढ़ रही है चमक इस शब-ए-माह की
फिर अमावस पे यह चाँद ढल जाएगा।
है फ़रेबी तेरे मुझसे वादे सभी,
दिल मगर इनसे थोड़ा बहल जाएगा।
कल मुलाकात उनसे न होगी अगर,
यार की याद से मन मचल जाएगा।
और कुछ देर रख सब्र मुतरिब अभी,
वक़्त तेरे लिए चाल चल जाएगा।







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